Krishi Sakhi Yojana : जानें कैसे महिलाएं बना सकती हैं हर साल 60-80 हजार रुपये

By bstyojana

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Krishi Sakhi Yojana

Krishi Sakhi Yojana: सरकार खेती में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रही है, ताकि महिलाएं भी पुरुष किसानों के साथ मिलकर खेती कर सकें और आत्मनिर्भर बन सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखपति दीदी योजना के बाद, अब कृषि सखी योजना भी चर्चा में है। हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि सखी योजना को लखपति दीदी योजना का एक हिस्सा बताया है।

18 जून 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम किसान योजना के तहत किसान सम्मान निधि की राशि जारी करते हुए करीब 30 हजार कृषि सखियों को प्रमाण पत्र वितरित किए थे। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि सखी पहल को 3 करोड़ लखपति दीदियों को बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम बताया।

कृषि सखी कार्यक्रम योजना क्या है

कृषि सखी योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को यह प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे किस तरह अन्य किसानों का सहयोग कर खेती में उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। इस योजना का मुख्य लक्ष्य देश में फसल उत्पादन बढ़ाना और खेती में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना है। कृषि सखी के माध्यम से खेती के काम को आसान और अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।

इस योजना के तहत महिलाओं को कृषि क्षेत्र के विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए 30 अगस्त 2023 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत प्रशिक्षित महिलाओं के लिए कृषि सखी प्रमाण पत्र कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

कृषि सखी कितनी महिलाएं अब तक बन चुकी हैं

सरकार द्वारा चलाए गए कृषि सखी कार्यक्रम में प्रशिक्षित 70 हजार से अधिक कृषि सखियों में से 34 हजार को पैरा विस्तार कार्यकर्ता के रूप में प्रमाणित कर दिया गया है। बाकी शेष कृषि सखियों को भी जल्द ही प्रमाण पत्र वितरित किए जाएंगे, ताकि वे भी कृषि क्षेत्र में अपना योगदान दे सकें।

कैसे कृषि सखी महिलाएं बन सकती हैं

अगर आप भी कृषि सखी बनकर कृषि कार्यों में मदद करना चाहती हैं, तो इसके लिए आपको पहले प्रशिक्षण लेना होगा। ट्रेनिंग के बाद आपको सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके बाद आप कृषि सखी के तौर पर काम कर सकेंगी। कृषि सखी कार्यक्रम के तहत महिलाओं को कृषि से जुड़े विभिन्न विषयों में से किसी एक पर 56 दिनों का प्रशिक्षण लेना होता है।

इसके बाद एक परीक्षा होती है, और अगर आप परीक्षा में पास हो जाती हैं, तो आपको कृषि सखी का सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस प्रमाण पत्र कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्रशिक्षण और सर्टिफिकेट प्रदान करना है, ताकि वे कृषि परा-विस्तार सहायक बन सकें। कृषि सखी प्रमाण पत्र कार्यक्रम, लखपति दीदी योजना के उद्देश्यों को भी पूरा करता है।

कितने राज्यों में कृषि सखी योजना का कार्यक्रम संचालित है

फिलहाल देश के 12 राज्यों को कृषि सखी कार्यक्रम के लिए चयन किया गया है।

  1. राजस्थान
  2. उत्तर प्रदेश
  3. मध्य प्रदेश
  4. छत्तीसगढ़
  5. महाराष्ट्र
  6. गुजरात
  7. कर्नाटक
  8. तमिलनाडु
  9. झारखंड
  10. आंध्र प्रदेश
  11. ओडिशा
  12. मेघालय राज्यों को शामिल किया गया है

किन विषयों का प्रशिक्षण किया जाता है | Krishi Sakhi Yojana

देश की महिलाओं को कृषि से जुड़े विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे न केवल कृषि में योगदान दे सकें, बल्कि अपनी आय भी बढ़ा सकें। कृषि सखी के लिए यह प्रशिक्षण 56 दिनों में पूरा हो जाता है।

  • भूमि तैयार करने से लेकर कटाई तक कृषि पारिस्थितिकी अभ्यास
  • किसान फील्ड स्कूल का आयोजन
  • बीज बैंक की स्थापना और प्रबंधन
  • मृदा स्वास्थ्य मृदा और नमी संरक्षण अभ्यास
  • एकीकृत कृषि प्रणाली
  • पशुपालन प्रबंधन के मुख्य बिंदु
  • जैव इनपुट की तैयारी उपयोग और स्थापना
  • बुनियादी संचार कौशल
  • इसके अलावा कई कृषि सखियों को मनरेगा और Day-NRLM के माध्यम से प्राकृतिक खेती और मृदा स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण दिया जाता है।

कृषि सखी बनने के बाद कितनी कमाई होगी

सबसे पहले, कृषि सखी बनने के लिए सरकार से प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी है। ट्रेनिंग के बाद, कृषि सखियों को एक परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा को पास करने पर उन्हें पैरा एक्सटेंशन वर्कर के तौर पर प्रमाणित किया जाता है, जिससे वे एक निर्धारित संसाधन शुल्क पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं की गतिविधियों में हिस्सा ले सकती हैं। कृषि मंत्रालय के अनुसार, कृषि सखी बनने के बाद एक साल में 60 से 80 हजार रुपये तक की कमाई की जा सकती है।

किसानों की मदद कृषि सखियाँ किस तरह से करेंगी

आज के समय में, MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास पर मिशन) योजना के तहत 30 कृषि सखियाँ स्थानीय संसाधन व्यक्ति (LRP) के रूप में काम कर रही हैं। ये कृषि सखियाँ, किसानों की कृषि गतिविधियों की निगरानी करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए महीने में एक बार प्रत्येक खेत का दौरा करती हैं।

वे किसानों को प्रशिक्षित करती हैं, किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने में मदद करती हैं, FPO (किसान उत्पादक संगठनों) के कामकाज और विपणन गतिविधियों को समझाती हैं, और किसान डायरी रखने में मदद करती हैं। इसके अलावा, हर हफ्ते किसान हित समूह (FIG) की स्तर की बैठकें भी आयोजित की जाती हैं। इस काम के लिए कृषि सखियों को हर महीने 4500 रुपये की राशि मिल रही है।

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